31 Dec 2019

Surah 9 Aayat 5 - सुराः 9 आयत 5 का सक्षिप्त विश्लेषण

सुराः 9 आयत 5

And when the sacred months have passed, then kill the polytheists wherever you find them and capture them and besiege them and sit in wait for them at every place of ambush. But if they should repent, establish prayer, and give zakah, let them [go] on their way. Indeed, Allah is Forgiving and Merciful.
जिसका मतलब है -

कि जब पवित्र महीने बीत चुके हों तब तुम जहाँ भी उन बहुदेवादियो (अधिक भगवान को मानने वाले आस्तिक) को पाओगे उन्हें जान से मार देना, उनको पकड़ लेना उनका घात लगाकर बैठ जाना मगर जब वे पश्चाताप करें और नमाज के लिए मान जाएँ और जकाह के लिए मान जाएँ तो उन्हें जाने दें। क्यूंकि अल्लाह माफ़ करने वाला और दया करने वाला है। 

देखा आपने ये ईश्वरीय किताब बताकर इसमें कैसा पाखंड लिखा गया है। बताया जाता है इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं फैला लेकिन ये आयत तो कुछ और ही दर्शा रही है। जो पूरी तरह मानवता विरोधी है। सच तो यह है की न इनका अल्लाह सत्य है न इनकी कुरान। कुरान आतंकवाद की किताब है अल्लाह आतंकवाद निर्माता। 
मुसलमान यह कहते नहीं थकते की इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है। लेकिन यह आयत सब कुछ साफ़ कर देती है। इस्लाम पूरी तरह मानवता विरोधी रहा है इनके द्वारा अरब के कुफ्र समाज का नाश किया गया और अफ़ग़ान तथा ईरान में बोद्धो और पारसियों को जबरन मुस्लमान बना कर बौद्ध तथा पारसियों को खदेड़ा गया। 

Written by Aman Nastik
Facebook - Aman Blogs

12 Dec 2019

आस्तिको के लिए प्रश्न - Questions for Theists in Hindi by Nastik Blogs

Blog Writer - Aman Nastik

नमस्कार दोस्तों आज के समय में आस्तिकता पर विज्ञान की चोट से नास्तिको का जन्म हो रहा है। एक बच्चा नास्तिक के रूप में जन्म लेता है मगर उसके मन में ईश्वर, धर्म और पाखंडवाद का जहर घोल दिया जाता है जिसके बाद वह वही कार्य करता है जो उसके काल्पनिक ईश्वर द्वारा कही गयी है। पाखंड फैलाना कमजोर तथा अल्पसंख्यक धर्म की निंदा करना उन्हें दबाना व सताते रहना इत्यादि। नास्तिको के खिलाफ तो सभी धर्म है उनके लिए उनका काल्पनिक भगवान अल्लाह गॉड उनको कहता इनको या तो धर्म में लाओ या वे न माने तो इनको मौत के घाट उतार दो।
खैर आज हम ईश्वर अल्लाह गॉड किस प्रकार सजा देता है इस पर बात करेंगे। 
थ्योरी - ईश्वर सजा देता है इसके बहुत से तरीके हैं प्रत्येक ईश्वरवादी धर्म इसके अनेक कारण देते हैं। कोई पुनर्जन्म कोई जन्नत या जहन्नुम की बात करता है कुछ कहते हैं ईश्वर सजा इसी जन्म में देदेता है। 
आत्मा - दुनिया के सभी धर्म आत्मा में विश्वास करते हैं तथा आत्मा को ही ईश्वर के सामने खड़ा होना होगा। भगवद गीता में आत्मा की थ्योरी यह है की वह न काटी जा सकती, वह न डुबाई जा सकती, न आत्मा जलती है, न आत्मा सुख सकती है, न आत्मा कभी जन्म लेती है, न वह कभी मरती है, आत्मा समय से परे है। 
 
1. अब्राहमी क़यामत दिन - दुनिया में सबसे अधिक अब्राहमी धर्म के लोग रहते हैं इसमें ईसाई, मुस्लमान और यहूदी आते हैं। इनका मानना है जब दुनिया ख़त्म हो जाएगी तब अल्लाह गॉड यहोवा सभी लोगो के किये गए कामो का लेखा जोखा खोलेगा और इसका हिसाब किताब करके सभी को जन्नत तथा जहन्नुम में बाँट देगा। अतः बात कर लेते हैं जब अल्लाह क़यामत के दिन हिसाब लेगा तब तक तो शरीर जो दफ़न है उसका तो सर्वनाश होगया वह तो पूरी तरह ख़तम होगया तो सजा किसको देगा आत्मा को तो कोई प्रभाव है ही नहीं। फिर कुछ महानुभाव मौलाना शाहब कहेंगे अल्लाह उनको शरीर देदेगा। अब ये भी हास्याप्रद बात है अब जरा बताओ जो पाप हमारे उस शरीर ने किया जो मर चूका है जो भष्म हो चूका है उसकी सजा आप दूसरे को क्यों दे रहे हो। क्या किसी मुजरिम के किये की सजा आप किसी बेकसूर व्यक्ति को कैसे दे सकते हो।
अब आत्मा का शरीर पर कोई कण्ट्रोल नहीं होता अगर कण्ट्रोल होता तो आत्मा को अल्लाह गॉड यहोवा के बारे में पता होता वो गलत काम करने से रोक लेती क्यूंकि वह अल्लाह, गॉड और यहोवा आदेश को जानती है।

2. पुनर्जन्म थ्योरी - मुख्यतः हिन्दू लोग यह मानते हैं की कर्माधार पर पुनर्जन्म होता है यदि कोई इस  गलत करता है तो उसको अगले जन्म में किसी जानवर या गरीब, लंगड़े अपाहिज व्यक्ति के रूप में जन्म मिलता है या उसको उसके अगले में किसी वजह से सजा देदेता है। यह बात पूरी तरह ढकोसलेबाजी है कोई पुनर्जन्म नहीं होता। अगर इनके अनुशार पुनर्जन्म होता है जरा दिखाए हमें वो खता लेखा जोखा जिसके अनुकर ये गलत काम करने पर ऐसे पुनर्जन्म होगा ऐसे काम करने पर ऐसा जन्म होगा यकीनन इनके पास कोई जवाब नहीं है। फिर कुछ लोग हवाला देते है की उनके गांव के पास किसी के चाचा के बेटे इत्यादि ने पुनर्जन्म लिया और वह पिछले जन्म की बात बताता था ये पूरी तरह से ढकोसलेबाजी है। अगर पुनर्जन्म में याददास्त जिन्दा रहती है तो इतने करोड़ो लोगो को क्यों नहीं याद अपनी पिछले जन्म की याददाश्त खैर ऐसा कुछ नहीं होता यह पाखंड की जड़ है इससे अधिक कुछ नहीं। 
अब प्रक्टिकली एक बात सोचिये एक आदमी बस के निचे आके मर गया और दूसरा बच गया तो लोग कहेंगे ये ऊके पिछले जन्म का नतीजा है। अब जो मर गया उसने पिछले जन्म में जरूर कोई पाप किया होगा। तो इस हिसाब से अगर कोई हमारे सामने मर रहा हो तो हमें उसको नहीं बचाना चाहिए क्या पता उसने पिछले जन्म में कोई पाप किया हो जिसके वजह से मर रहा हो।
आज कल भारत में रेप मामले बहोत अधिक बढ़ रहे हैं लड़कियों के साथ बहोत बर्बता की जाती है बलात्कार करके उनको मौत के घाट उतार देते हैं। अब जिस लड़की के साथ गलत हुवा क्या उसको ये सजा ईश्वर ने दी होगी ? क्यूंकि  जन्म में गलत काम किये और उन बलात्कारियो को जरिया बना दिया, जी नहीं। किसी लड़की के माता पिता को  ऐसा बोलके देखो तुम्हारे भगवन की औकात पता चल जाएगी। 
3. इसी जन्म में हिसाब होगा - यह थ्योरी कुछ अगर संवैधानिक रूप से देखे तो सही है कानून की कोशिश रहती है प्रत्येक दोषी को इसी जन्म में सजा दी जाये ताकि इंसाफ मिल सके कानून के अनुसार कोई भगवान नहीं है कानून उसको प्रतीक्षा नहीं करता खैर कुछ धार्मिक लोग यह विश्वास करते हैं की उनका ईश्वर इसी जन्म में सबको सजा दे देता कोई पुनर्जन्म या कयामत का इंतजार नहीं करता उनके कानून भी कुछ नहीं वो कानून से परे ये बात बोलते हैं। प्रक्टिकली सोचे तो भगवन सजा कैसे देगा किस जुर्म की क्या सजा देगा क्या इसका कोई लेखा जोखा उनके पास है जो उसके नाम पे ठेकेदारी की दुकान चलाते आ रहे हैं और ये ईश्वरवादी लोग हमेशा कहते हैं यह विधि का विधान है तो क्या कल उनका बेटा मर रहा होगा तो वो उसके कर्मो की सजा है यह कहकर उसकी मौत का शोक नहीं मनाएंगे।

खैर जो भी है जब यहाँ सब कुछ विधि का विधान है तो दुखी क्यों होते हो। 5 वक्त नमाज पढ़ने वाले मुस्लमान की गर्दन पे अगर छुरी रख दे तो वो भी जिंदगी मांगेगा तो उसको भी कैसा उसको अल्लाह के पास जाने का मौका मिल रहा है। किसी लड़की के बलात्कारियो के लिए हम सजा की मांग नहीं करेंगे क्यूंकि हिन्दुओ के अनुसार ये तो उसके पिछले कर्मो की सजा है। हम किसी व्यक्ति की मदद नहीं करेंगे जिसका सड़क पर एक्सीडेंट होगया हो क्यूंकि यह तो विधि का विधान है उसने गलत काम किये जिसकी सजा उसको मिल रही है। 
ये दकियानुशी बाते हैं इनका कोई उपयोग नहीं असल में मानव द्वारा निर्मित कानून ही सत्य है अगर ईश्वरीय कानून सत्य होता तो ये मुस्लमान कुरान का अपमान करने वाले को मारते नहीं ये हिन्दू मंदिर तोड़ने वाले को मारते नहीं असल में न ईश्वर है न आत्मा का कोई अस्तित्व हज़ारो वर्षो से मानवता को अपने चंगुल में कैद करने का एक जरिया मात्र है।
कुछ बाते मैं यहाँ शामिल करना शायद भूलग्या अतः आपको मेरा ब्लॉग पसंद आता है तो इसको फॉलो करें 
धन्यवाद। 

2 Dec 2019

Killing Secularism Briefly Explain in Hindi - धर्मनिरपेक्षता का हत्या संक्षिप्त वर्णन

धर्मनिपेक्षता का अंत 

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका मेरे एक और नए ब्लॉग में मेरा नाम अमन है और आज मैं आपको कोई इतिहासिक या गैरस्तित्व भगवन से जुडी कोई कहानी लेके नहीं आया बल्कि आधुनिक आजाद भारत में हो रही घटनाओ से किस प्रकार भारत की आत्मा को चोट पहुँच रही है उसपे बात करूँगा।
1947 में ब्रिटिश लोगो द्वारा फुट डालो और राज करो का जहर काम कर गया जब भारत तीन हिस्से अथवा दो राष्ट्रों में बाँट दिया गया। वही जो हमारा नया पड़ोसी देश पाकिस्तान एक इस्लामिक नक्शेकदम पर चलने राष्ट्र तो भारत ने बहुसंख्यक राज के बजाये धर्मनिरपेक्षता और सबको समानता का अधिकार देकर प्रजातंत्र को अपनाया। भारत में बहुत से बहुसंख्यक समाज से लोग इस धर्मनिरपेक्षता और भारत को लोकतंत्र होने पर नाराज होते है और निंदा करते हैं। खैर यह सबकी अपनी सोच है वास्तव में भारत जैसे विशालराष्ट्र को लोकतान्त्रिक और प्रजातंत्र वाला राष्ट्र ही होना चाहिए।
वर्ष 1947 में लाखो लोग मारे गए थे और करोड़ो लोग बेघर भी हुए थे इसमें मुस्लिम तथा गैर मुस्लिमो मुख्यतः हिन्दू तथा सिक्खो का बहोत बड़ा विस्थापन हुवा। तबसे ही लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं। लोगो का कहना है धर्मनिरपेक्षता तो 1947 में ही ख़तम हो गयी थी। अतः अब भारत को पाकिस्तान के विपरीत हिन्दू राष्ट्र होना चाहिए। इसी के साथ ही कुछ मुस्लिम समुदाय के लोग भारत में कुरान के हवाले से कहते हैं भारत में पूर्णतया मुस्लिम शासन लागु होगा जिसे वो गज़वा ए हिन्द कहते हैं।
1984 के सिक्ख दंगे भारत में पहली बार सल्पसंख्यक समुदय के खिलाफ दंगा था जिसमे आंकड़ों अनुसार 1200 सिक्ख लोग अकेले दिल्ली में मारे गए थे। लेकिन लोगो की माने तो 4000-5000 लोगो की दंगो में मौत हुई औरतो का बलात्कार हुवा। उस समय प्रतीत हुवा भारत में अल्पसंख्यक लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
1992 में विवादित बाबरी मस्जिद को भीड़ द्वारा तोडा जाना वैसे यह एक आक्रोश दंगा था लोगो में लेकिन इससे लोगो को महसूस हुवा की अल्पसंख्यक समुदाय सुरक्षित नहीं है। आकड़ो के अनुसार 2000 लोगो की मौत इस भयावह प्रदर्शन में हुई लेकिन लोगो का मानना है इसमें 3000 से ज्यादा लोग मारे गए। 
1993 में ही मेमन भाइयो द्वारा गाडी में बम्ब ब्लास्ट किया गया था इसका कारण बाबरी मस्जिद के तोड़े जाने पर उसको भी काफी नुकशान हुवा था इसमें बम्ब ब्लास्ट का उपयोग किया गया जिसमे 320 लोग मारे गए और 1500 लोग इस घटना में घायल होगये।
2002 गोधरा दंगे गोधरा में हुवे दंगे हिन्दू मुस्लिम दंगे से भी विख्यात है तक़रीबन 2000 तक हिन्दू मुस्लिम लोगो ने अपनी जान से हाथ धोया था। इसमें बलात्कार, लोगो को जिन्दा जलाना जैसी अमानवीय करतूतों का भी इस्तेमाल किया गया था। इन दंगो का इल्जाम उस समय के मुख्य मंत्री पर भी लगाया गया था।
2014 में मुजफ्फरनगर में हुवे दंगे भी बेहद भयावह थे यह दंगा भी अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ही था जिसमे 700 - 800 मारे गए थे।
इन दंगो में लोगो द्वारा सय्यम नहीं रखा गया और दंगे किये गए धर्म विशेष से नफरत भरी रही और नफरत की आग में मासूमो ने जान गवां दी।
अब भी कही पर बलात्कार की खबर सुनने को मिलती ह तो लोग धर्म के आधार पर पक्षपात जरूर करते हैं।  भारत से मनो धर्मनिरपेक्षता ख़तम होती जारही है। India is a Secular Democracy
जय हिन्द 

19 Nov 2019

ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना अधिकारी।।

नमस्कार दोस्तों मैं तार्किक अमन आपका अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको ऐसी घटिया मानसिकता की एक झलक दिखाऊंगा जिसने भारत का इतिहास और वर्तमान तक कालिक छाप रखी है।
तुलसीदास एक महान रचयता माने जाते हैं भारत में उसने रामचरितमानस का निर्माण किया मैं उसकी जीवनी पर बहस नहीं करूँगा बल्कि उनकी लिखी पुस्तिका तुलसीदास दोहावली की एक चोपाई की बात करूँगा जोकि इस प्रकार है "ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना  अधिकारी।।" इस चोपाई का अर्थ आपको शायद न पता लगे लेकिन मैं आपको बताऊंगा जिससे तुलसीदास की सोच का आपको भली भाती अंदाजा हो जायेगा।
ढोल का अर्थ तो आपको पता है ग्वार जो पागल होते हैं शूद्र हिन्दुओ के चार वर्णो में सबसे निचला वर्ग जिसको अछूत  श्रेणी में गिना जाता है पशु जानवर को कहते हैं और नारी का आपको पता है। सकल का अर्थ है सभी, ताड़ना का अर्थ है पीटना और अधिकारी मतलब वह उसका अधिकार। अतः यह हुआ पशु, पागल , शूद्र, महिला सभी ही ढोल की पिटाई के हक़दार हैं।
अब बताओ कौन महिला या बहुजन समाज से तुलसीदास का दीवाना है। जो इन्शान ऐसी घटिया सोच रखता है उससे क्या उम्मीद लगते हो मित्र।
उम्मीद है आपको मेरा यह ब्लॉग अच्छा लगा 

4 Nov 2019

Galileo Galilei vs Church

विज्ञान तथा चर्च -


नमस्कार दोस्तों मैं एक तार्किक मनुष्य हूँ आज आपसे ऐसी घटना बताने वाला हूँ जो चर्च और विज्ञान की एक लड़ाई थी। जिसमे लोगो की गलत मानसिकता से एक महान वैज्ञानिक को मरणोपरांत भी गलत ठहराया गया। 

बात दरअसल बात 14 फरवरी 1564 को सर गैलिलिओ गलीली के जन्म से सुरु होती है। गैलिलिओ का जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रान्त के पिसा में हुवा। हम उनकी जीवनी के बारे में बात नहीं करेंगे। उन्होंने पृथ्वी के सौरमंडल के केंद्र न होने की बात को जोर दिया था हालाँकि  यह उनकी खोज नहीं थी उन्होंने बृहस्पति ग्रह चार चन्द्रमा खोज निकले थे। उन्होंने जोर दिया की सौरमंडल का केंद्र सूर्य है और सभी ग्रह  सहित सूर्य के चारो और चक्क्र काटते हैं कोपरनिकस ने भी यह दवा किया था। यह बात चर्च को कभी पसंद नहीं आयी. सन 1609 चर्च ने बैठक बुलाई और बताया की गैलिलिओ ने धर्म के खिलाफ बात की है बाइबिल की बातो का खंडन है इसलिए चर्च ने गैलिलिओ को सजा सुनाई की उसको सबके सामने कहना होगा " की मैं गलत हूँ सूर्य पृथ्वी के इर्द गिर्द घूमता है '' गैलीलियो ने यही किया और गर्दन झुककर दबी आवाज में यह कहा ऐसा लगा जैसे उनको बड़ा दुःख है। 
परेशानियों से भरी गलील्यो की जिंदगी 8 जनवरी 1642 में उनकी जिंदगी का अंत होगया। उनकी बहोत सी खोजे जो और कर सकते थे चर्च की सजा से सब ख़तम होगया उनको अपनी जिंदगी के आखिरी कुछ साल नजरबंदी में गुज़ारे।
अब बात करते उनकी मृत्यु के 350 साल बाद चर्च के पादरी ने यह गलती मानी की उन्होंने गैलीलियो के साथ गलत किया गैलीलियो एक महान व्यक्तित्व वाले आदमी थे। आखिरकार गैलीलियो को न्याय मिला। 

कैसी लगी हमारी पेशकश 
हमें फॉलो जरूर करें 
धन्यवाद 

1 Nov 2019

Intelligent Species of Earth - HINDI

पृथ्वी के समझदार प्राणी -

पृथ्वी की उम्र अगर देखे तो 4 अरब साल लगभग है हम केवल कुछ 40 से 80 करोड़ पुराणी पृथ्वी का ही अनुमान लगा पाए हैं और हम इंतसान कुछ लाख सालो में ही इतने एडवांस हो गए हैं हो सकता है पहले भी कोई महान सभ्यता ने पृथ्वी पर राज किया हो और आज उसका अस्तित्व ख़त्म हो गया हो या यह भी हो सकता है की उन्होंने उस समय किसी कारण से पृथ्वी का विनाश कर दिया हो और फिर वो ग्रह छोड़ कर किसी अन्य ग्रह पर चले गए होंगे और फिर धीरे-धीरे पृथ्वी की तरह उस ग्रह को भी बर्बाद करके पृथ्वी पर पुनः आगये हों और आज हम उन्ही के वंसज हैं खैर हम भी पृथ्वी का नाश करते जा रहे हैं। वैसे ये कहानी काल्पनिक है और थोड़ी सी फ़िल्मी लगी होगी। 
आपने अक्शर देखा होगा की एक मनुष्य गुस्से में कह देता है की तुम मुझसे कम समझदार हो तो ऐसा लगता है जैसे उसके पास कुछ खास शक्तिया हैं मगर ऐसा नहीं है। एक इन्शान दूसरे को कम दिमाग या कम अकल तभी कहता है जब वह उसकी तरह नहीं सोच सकता या उसकी भांति कार्य नहीं कर सकता खैर इसका कारण रूचि भी हो सकती है। उदहारण के तौर पर मुझे राजनीती समझ नहीं आती लेकिन मेरा मित्र राजनीती में एक खिलाडी है अतः  वह मुझे बेवकूफ कह देता है। आश्चर्य तब होता है जब मुझे इतिहास का पूरा ज्ञान है मगर उसको नहीं तब मैं उसको बेवकूफ बोल देता हूँ। अतः हम तभी किसी को दिमागी तौर पर कमजोर मानते हैं जब वह हमारे सोच के दायरे की रूचि से अलग हो। 
पृथ्वी पर अनगिनत जिव रहते हैं हम मनुष्य ये वहम पाले बैठे हैं की हम पृथ्वी के हम सबसे अव्वल दर्जे के प्राणी है मगर ऐसा नहीं है। सभी प्राणी ही अव्वल दर्जे के होते हैं उनकी खूबियां अविश्वसनीय होती हाँ यह कहा जा  है दिमागी रूप से मानव अत्यंत ताक़तवर है। लेकिन सभी जिव अपनी शारीरिक सरंचना के आधार पर दिमागी ताक़तवर हैं मनुष्य के पास वो सभी चीजे हैं जिससे वह अपनी सोच पूरी कर सकता है। अब जरा बताओ यदि हम हाथी को स्वर्ण माला बनाने को कहे तो वह नहीं बना पायेगा उसके पास हाथ नहीं होते हैं वह हमारी भाषा नहीं समझता न हम उनकी समझते लेकिन जब उसको उकसा देते हैं तो वह विनाश कर सकता है। 
क्या आप जानते हैं घोडा कभी किसी की सकल नहीं भूलता मगर उसका दायरा अलग है। 
सारांश यह निकलता है की कोई भी समझदार नहीं है। सब अपने अंदर खूबी लिए बैठे है। 

मैं अमन चौहान हूँ मेरे ब्लॉग को फॉलो करें। 

30 Oct 2019

Horror Story - Hindi

DEAD END -

एक सूंदर नौजवान युवती गाड़ी चला रही होती है और उसके पास एक भारी सा बस्ता होता है शायद उसमे कुछ खास था वह एक फ़ोन करती है अपने मंगेतर को और बोलती है मैं आरही हूँ एक तोहफा है तुम्हारे लिए लड़का कहता है हाँ आजाओ मेरे पास भी तुम्हारे लिए तोहफा है। लड़की उसके फार्म हॉउस पर पहुँचती है और दरवाजा खटखटाती है तेज बारिश में वह थोड़ी सी भीग गयी लेकिन बस्ता सलामत अपने हाथो में जकड़े हुवे थी। लड़का तभी दरवाजा खोलता है और वह लड़की उस लड़के से लिपट जाती है तभी एक दुसरी लड़की जो वही कमरे में छिपी हुई थी एक जेह्रीला टिका उस लड़की की गर्दन पर मार देती है। वह बेहोस होकर गिर जाती है। उस लड़के ने अपनी मंगेतर को धोखा दिया और वो उसके हाथ से बस्ता खोलके देखते हैं और चौंक जाते हैं उसमे बेहिसाब पैसे होते हैं जो वह लड़की लेकर आयी थी लेकिन एक छोटी सी आहाट सुनाई पड़ी लड़का मुड़ कर देखता है की उसको होस आ चूका है तो वह लड़का उसपे चाकू से वर करता है और बेरहमी से उसकी कमर फाड़ देता है और दूसरी लड़की उसका मुँह गरम पानी से जला देती है। 
तभी उन दोनों को एक घातक दहाड़ सुनाई देती है और देखते हैं इतनी चोट के बावजूद वह लड़की खड़ी हुई और राक्षश जैसी आवाज निकलते हुए उस लड़के की गर्दन उस चाकू से काट देती है और जहरीले टिके को उस लड़की की आंख में घुसा देती है और फिर बिजली कड़कती है और वो शैतानी आत्मा गायब होजाती है।

अंत मौत ही होती है। 

Writer - Aman

23 Oct 2019

Mahabharat Age is True or Fake

महाभारतकाल एक महान झूठ :-

मस्कार दोस्तों अमन ब्लॉग में आपका स्वागत है। हम आज बात कर रहे हैं क्या महाभारतकाल की जिसका उपयोग आधुनिक हिन्दू तथा आर्य समाजियो द्वारा किया जाता है। अगर भारतीय पुरारतात्विक विभाग की माने
कृष्ण तथा अर्जुन
तो भारत में सिंधु घाटी सभ्यता से पुराने सुबूत बहोत कम ही मिलते हैं। महाभारत हिन्दू या सनातन धर्म का एक महाकाव्य है। यदि बात की जाये सिंधु घाटी सभ्यता की तो यह 1300 ईसा पूर्व से पुराणी है, सिंधु घाटी सभ्यता पाषाण युग, लोह युग और हड़प्पा तथा मोहेंजो दाड़ो जैसी सभ्यताओं के मिश्रण से बना है। सिन्दु घाटी सभ्यता के पुराने प्रमाण 8000 ईसा पूर्व पुराने हैं। लेकिन हिन्दू विश्वसानुसार महाभारत तृतयुग के अंतिम शतकों में हुवा जिनकी माने तो वो समय 5000 वर्ष पुराना हैं यानि तक़रीबन 2000 ईशा पूर्व के समय में लेकिन एक तर्क जो पुरातात्विक विभाग कहता है की सिंधु घाटी सभ्यता उस समय पाषाण युग में था वो धातु युग नहीं था सिंधु घाटी के अंतिम समय में धातुओं का इस्तेमाल सुरु हुवा था। इतिहासकारो के पास 1300 से 700 ईशा पूर्व के मध्य के कोई सुबूत नहीं है हो सकता है महाभारतकाल उसी 600 वर्ष के अंतराल में हुवा हो। लेकिन यह थोड़ा असंभव लगता है क्यूंकि उस समय मानव विकास की चरम सीमा की अग्रसर था लेकिन महाभारत महाकाव्य में जिस प्रकार की कहानी व्यक्तित्व और राजशाही की बात नजर आती है वह काफी आधुनिक लगती है। महाभारत में सोना और लोहे से बने हथियार तथा अनेक प्रकार के वस्त्रो का इश्तेमाल किया गया है जोकि सिंधु घाटी से पहले सूक्ष्म रूप से इस्तेमाल में थी। महाकाव्य में संस्कृत भाषा का उपयोग है तथा संस्कृत को प्रचित भाषा बताया गया है किन्तु सिंधु घाटी में संस्कृत नहीं थी और बोध काल के दौरान पाली भाषा उपयोग में थी। अनुमान लगाया जा सकता है की महाभारत काव्यांश एक काल्पनिक कहानी है जिसको प्राचीन इतिहास का रूप देने की कोशिश की गयी है। काव्यांश में अनेक बार जादू और गैर-वैज्ञानिक बाते इस्तेमाल की गयी है जैसे संजय द्वारा हजारो कोष दूर चल रहे युद्ध की जानकारी बिना किसी उपकरण धृतराष्ट्र को देना, शांतनु द्वारा गंगा जोकि नदी है उससे विवाह करना, गंगा जब स्त्री बन कर टहल रही थी तब शांतनु उसकी शारीरिक सरंचना पर मोहित हो गया और विवाह का प्रस्ताव देदिया, मंत्रो से तलवार तथा तीर भालो से लड़ा जाने वाला युद्ध भी एक आधुनिक युद्ध लगता विस्फोटक तीर इत्यादि, कुंती के 3 बेटे बिना प्रजनन के होना केवल ध्यान लगाया और बच्चे होगये, गांधारी के भ्रूण हत्या होने पर उसने भ्रूण को मिटटी के बर्तन में घी के साथ रख दिया और फिर सौ पुत्र तथा एक पुत्री का जन्म हुवा ऐसी दकियानूसी बात ज्ञात इतिहास में तो नहीं अतः यह एक मानसिक इतिहास है।
कृपया हमारे इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाने का प्रयास करें ताकि लोग इस झूठ और अन्धविश्वास से खुद को बचा सके।
जय हिन्द

26 Sept 2019

What If India were a Religious Nation - HINDI

क्या होता अगर भारत एक धार्मिक गणराज्य होता ?
भारतीय मानचित्र 


वैसे प्राचीन समय से ही भारत सभी विदेशी व्यापारिओं, राजाओ और लुटेरों के मध्य प्रशिद्ध रहा है। सभी राजा ही अपने किसी पंथ या जाति को अपनी प्रजा पर थोपते थे और राज करते थे। भारत में प्राचीन समय से ही मानवाधिकारों का खंडन हुवा है। जिसको हम आज के आधुनिक युग में भी अपनी आँखों से देख सकते हैं। किस प्रकार भारत जैसे लोकतान्त्रिक राष्ट्र में भी राजनेता भी लोगो में धार्मिक और जातिगत भेदभाव करते हैं।
हम भारत के चार बड़े धर्म हिन्दू , इस्लाम , सिख और बोध धर्म से शुरुआत पर बात करेंगे और साथ ही विश्लेषण करेंगे अगर नास्तिक समाज भारत में बहुल होता और राष्ट्र की कमान इस समाज के हाथो होती तो क्या दृश्य होता।
DISCLAIMER - हम भारत के किसी भी धर्म को गलत नहीं कह रहे सभी इतिहास पर आधारित है और तर्कसंगत हैं कुछ भी मुंहबोला और असत्य वाक्य इसमें उपयोगी नहीं है। धन्यवाद।

1. हिन्दू/सनातन/आर्य समाज - हिन्दू धर्म एक उदारवादी धर्म है इसका इतिहास बहोत पुराना है आधुनिक
इतिहास में अगर आखिरी एक हज़ार वर्ष निकल दें तो इसी धर्म के राजाओ ने भारत का इतिहास रचा है। इतिहासकार मानते हैं की भारत यह भारत के सबसे पुराने धर्मो में से सबसे पुराना है हालाँकि इस धर्म के अनुसार ये धर्म एक अरब साल से ज्यादा पुराना है। पृथ्वी राज चौहान, महाराणा प्रताप, शिवजी मराठा जैसे महान राजा इस धर्म से निकले हैं।
हिन्दू जातिय वर्णमाला मनुष्मृति के अनुसार
यदि इस धर्म को 1947 के बाद देश की कमान सौंपी जाती तो यह बेहद गलत होता बेशक यह भारत का इतिहासिक धर्म हो लेकिन इस धर्म में एक एक अपवाद ये है की यहाँ जातिवाद जैसा जहर पनपा है। छुआ छूत जातिवाद इत्यादि इस धर्म के लिए कैंसर के समान  है। हिन्दू धर्म के चार वर्ण है - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैस्य और शूद्र लेकिन यहाँ शूद्र वर्ण जो मेहनती कार्यशील समाज है उसके साथ अमानवीय अपराध होते थे। राजा क्षत्र्य समाज से होता था और ब्राह्मण एक मंदिर का पुजारी होता है हालाँकि वो राजा बन सकता है वैश्य एक व्यापारी समाज है लेकिन शूद्र या दलित समाज को केवल छोटे कार्य ही करने चाहिए ऐसा लिखा है मनुष्मृति में।

सुन्नी राजा हमलावर 
2. इस्लाम - वैसे देखा जाये तो आधुनिक इतिहास में मुस्लिम बादशाहो का दबदबा रहा है। यह धर्म मक्का सहर से फैला है जो अभी सऊदी अरब में है। सन 1000 से मुस्लिम लुटेरों एक राजाओ का भारत में आगमन शुरू होगया था  इतिहास दिल्ली सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य द्वारा गढ़ा गया। कुतुबुद्दीन ऐबक, जलालुद्दीन अकबर महान, शाहजहां और औरंगजेब इतिहास के कुछ बड़े राजा रहे हैं।
इस्लामी गृह युद्ध शिया और सुन्नी 
यदि इस धर्म को 1947 के बाद देश की कमान मिलती तो ये जातिगत भेद्बभाव से बहार होते यहाँ किसी से जातिगत भेदभाव  मगर यह धर्म कुख्यात मशहूर है धर्म रूपांतरण में। जैसा औरंगजेब द्वारा किया गया था। इस धर्म में गृह युद्ध होता रहता है शिया और सुन्नी में तो यह घातक धर्म भी है। इनके कानून शरीयत पर आधारित है और यक़ीनन सभी कानून बेहद अमानवीय भी है।



बौद्ध भिक्षुक शिक्षक और छात्र
3. सिख और बौद्ध - वैसे तो ये धर्म आधुनिक और प्राचीन हैं मगर इनको एक जैसा कहा जा सकता है सिख धर्म 10 गुरुओ के वचनो पर आधारित हैं वही बौद्ध धर्म गौतम बुद्ध की सिखाई बातो पर आधारित है। सिखो के सभी गुरु महान थे योद्धा गुरु तेग बहादुर और गुरु गोबिंद सिंह ने अपने बल से ही औरंगरजब के इस्लामीकरण मिशन को बंद कर दिया जहां गुरु तेग बहादुर भी शहीद होगये थे अगर बात करें बौद्ध धर्म की तो वो बहोत तार्किक होते हैं वो गौतम बौद्ध के अनुसार चलते हैं। अशोक सम्राट महान भी एक बौद्ध राजा था।


सिखो द्वारा लगाया जाने वाला लंगर
सिख धर्म एक खुशाल जीवन जीना सिखाता है लोगो की सहायता करना लंगर करना इतियादी सिखाता है वही बौद्ध धर्म प्राचीन है तो सन्यासी प्रकार से  हैं जिव हत्या के विरोधी हैं। अगर भारत में इनके हिसाब के कानून हों तो शायद कुछ हद तक भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र ही हो।

नास्तिक मानवता
4. नास्तिकता - वैसे नास्तिकता कोई धर्म नहीं है ये एक तर्कशील समाज है। यहाँ कोई बादशाह  हुवा हो इसके कोई प्रमाण नहीं है। शायद इतिहास होगा ही नहीं क्यूंकि नास्तिको को मार दिया जाता था।
लेकिन अगर नास्तिक भारत की कमान संभाले तो वो लोकतान्त्रिक राज्य की गठन करेंगे क्यूंकि नास्तिक जातिवादी धर्मवादी इत्यादि तरीके किसी को निचा नहीं दिखाना चाहते उनको मक़सद मानवता और मानवाधिकारों की रक्षा करना होता है।

खैर भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है इससे ख़ुशी की कुछ नहीं हमें भारत का सम्मान  चाहिए कुछ लोग गलत राजनीकि लोगो की वजह से भारत के लिए अपशब्द उपयोग करते हैं जोकि एक गलत धारणा है
मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया
जय हिन्द जय भारत
MY SELF AMAN

Facebook Page Link = https://www.facebook.com/actam007

Follow Me on Facebook

25 Sept 2019

Face of China - The Burning Xinjiang in HINDI

शिनजियांग प्रान्त के तथ्य  -

महरूम रंग में शिनजियांग 
                                         सन 1949 में चीनियों द्वारा तुर्किस्तान नामक एक जमीनी टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया जाता है। शिनजियांग, चीन का कोई पूर्ण भाग नहीं है, यह कब्ज़ा किया गया सूबा है जिसके नाम का अर्थ मान्छु भाषा में "नया सूबा" होता है।  शिनजियांग, जनवादी गणराज्य चीन उत्तर पश्चिम में स्थित है। यहाँ के लोग तुर्क लोगो से मिलते जुलते हैं और तक़रीबन सभी ही इस्लाम धर्म से जुड़े हुवे हैं और इन लोगो को उइगूर भी कहा जाता है। शिनजियांग को चीनी तुर्किस्तान और मशरकी तुर्किस्तान के नाम से भी जाना जाता है। इस सूबे की राजधानी उरुमची है।
शिनजियांग के आस पास के क्षेत्र 
शिंजियांग की सरहदें दक्षिण में तिब्बत और भारत, दक्षिण-पूर्व में चिंग हई और गांसू, पूर्व में मंगोलिया, उत्तर में रूस और पश्चिम में क़ाज़क़स्तानकिरगिज़स्तानताजिकिस्तानअफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से मिलती हैं। भारत का अक्साई चिन का इलाका भी, जिसपर चीन का क़ब्ज़ा है, प्रशासनिक रूप से शिंजियांग में शामिल है। शिनजिआंग एक रेगिस्तानी इलाका जहाँ की जनसँख्या कम है। 




शिनजिआंग की आजादी की लड़ाई -
उइगूर राष्ट्र की मांग 
                                                    उइगूर लोग शुरुआत से ही चीन का विरोध करते आये हैं वर्ष 2013 में कुछ घटनाये ऐसी हुई जिससे दुनिया को चीन में चल रहे इस आंदोलन की खबर मिली। असल में चीनी सरकार ने शिनजियांग में बहुत पैसा लगा रखा है। इसलिए वो शिनजिआंग को नहीं छोड़ सकते। किसी कारण से अगर शिनजिआंग को आजाद करना पड़ता है तो CPEC भी ख़राब होजायेगा।  जोकि चीन व पाकिस्तान की संधि पर बना है जिसका रास्ता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से निकलता हैँ और चीन का जमीनी सम्बन्ध पाकिस्तान से ख़तम हो सकता है। हालाँकि खबर छुपाये नहीं छुपती चीनियों ने उइगरो को चुप करने के बेहद प्रयास किये हैं।  और अब चीनी सरकार कड़े हत्कंडे अपना रही है।  आपको बता दे चीन कोई लोकतान्त्रिक नहीं बल्कि तानाशाह देश है जहाँ एक लम्बी अवधि  राष्ट्रपति का शाशन है। शिनजियांग खुद को आजाद करके लोकतांत्रिक मुल्क बनना चाहता है। 

उइगरो पर किया जाने वाला अत्याचार -

यातना कक्ष में सूअर का मांस 
 शिनजिआंग के मुख्य निवासी मुसलमान है तथा उनको चुप करने करने के लिए चीनी फौज ने उनके धर्म को भ्रष्ट करना शुरू कर दिया। यह खबर तब सामने आयी जब वकील मुहमद जारची नामक शख्स उनके उनके पीड़ित कक्ष से भाग निकला और किर्गिस्तान पहुँच गया।  उसने चीन का खुलाशा किया की पीड़ित कक्ष में हज़ारो की मात्रा में उइगूर मुसलमान है जिनको जबरन सूअर का मांश खिलाया जाता है, कुरान पर मलमूत्र कर उसको दूषित करने को कहा जाता है, मतलब हर तरीके से उनके धर्म को भ्र्ष्ट किया जाता है। 
कुरान को अशुद्ध करता उइगूर मुस्लमान 
चीनी सरकार ने यह कानून बना रखा है की कोई मुस्लिम महिला मुख्य रूप से उइगूर की महिला हिजाब नहीं पहन सकती। उनको यातनाये दी हैं। चीन सरकार ने रोजा रखने वाले कर्मचारियों को काम करने की अनुमति नहीं दी और उनकी उस की तनख्वा काट दी जाती है। 
चीनी सरकार उइगूर अलगाववाद को खत्म करने हेतु कोई भी कदम उठा सकती है इसका पता वकील मुहमद जारची के बयानों  से चलता है। चीन में मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। 

कैसी लगी आपको हमारी पेशकश कृपया मेरे ब्लॉग को शेयर करें ताकि सभी जान सके चीन का असल चेहरा। 
जय हिन्द 
मेरा परिचय
अमन 



24 Sept 2019

When You Will Be Atheist? - HINDI

आप नास्तिक कब बनते हैं विश्लेशण सहित -

नास्तिको का एक चिह्न जो धर्म को ठुकरायेंगे 
नमस्कार दोस्तों मैं अमन आपका अपने पहले हिंदी ब्लॉग पर आपका स्वागत करता हूँ। जैसा की आप जानते हैं नास्तिकता कोई धर्म नहीं यह केवल वह श्रेणी हैं जब मानव का मस्तिष्क विचार करने लगता है। और कोई ऐसे वैसे विचार नहीं सीधे परमेष्वर के वजूद को लेकर। 
हजारो वर्षो से नास्तिक दर्शन दुनिया होते आये हैं जनको धर्म की पाखंडवाद सोच ने ख़त्म किया लेकिन नास्तिकता तो इंसान के जन्म से ही सुरु हो जाती है इसको ख़तम करना इतना आसान भी नहीं है। मैं आपको बताता हूँ विश्व में अधिकतर पाए जाने वाले नास्तिक दर्शन :- 1  चार्वाक दर्शन 2 काफ़िर कबीलाई 
ऋषि चार्वाक 
1 चार्वाक - भारत में रहने वाले लोग थे जो ईश्वर में आस्था नहीं रखते थे इसलिए प्राचीन ब्राह्मण उनसे नफरत करते थे उनको असीमित मात्रा में मौत के घाट उतारा जाता था धीरे बौद्ध धर्म के फैलाओ के कारन ये लोग बौद्ध धर्म विलय कर गए आज इस श्रेणी नमो निशान मौजूद नहीं है। 
आम आदमी को काफिर कह कर सम्भोधित करता मुस्लमान 
2 कुफ्री - ये भारत में नहीं पाए जाते थे बल्कि अरब के देशो कबीलाइयों के रूप में बसेरा डालते थे जिनका अंत आठवीं सदी में होगया हलाकि देखा जाये तो इन्होने कुर्दिस्तान, सीरिया, इराक, लेबनान, इजराइल, जॉर्डन के इलाके में बहुल मात्रा में बसेरा बनाया था इशाई धर्म के लोग इनसे खासी नफरत नहीं करते थे लेकिन जब इस्लाम का उदय हुवा तो उन्होंने सबको मुस्लमान बनाना सुरु कर दिया और कुरान में बताई गयी फर्जी आयत जो तब लिखी गयी जब जिद्दह में मोहम्मद ने कुछ कुफ्री लोगो को उनके धर्म की पूछा उन्होंने कहा हम वास्तविक हैं इश्वर पर विस्वास नहीं करते तब मोहम्मद ने कहा ईसाई या यहूदी को मुस्लमान बना सकते हैं लेकिन कुफ्री को नहीं क्यूंकि वो आस्तिक हैं ये नास्तिक इसलिए उस जल्लाद मोहम्मद ने यह लिखा अपनी कुरान में की जहाँ भी दिखे काफ़िर या कुफ्री उनको मार दो। कुछ डर के मरे यूरोप भागे कुछ ने इस्लाम कबूला। 

अब बात करते हैं आप नास्तिक कब बन जाते हैं -
                                                                       देखा जाये तो नास्तिक बनने के लिए कोई मंत्र इत्यादि की कोई जरुरत नहीं होती हालाँकि एक मनुष्य नसतीक के रूप में ही जन्म लेता है नास्तिकता में ही उसको उसको धार्मिक बनाया जाता तथा वह सभी धार्मिक कर्मकांड करता है। 
जब एक मनुस्य विज्ञानं के आधार पर सोचता है तब वह उसकी नास्तिक बनने की पहली पीढ़ी होती है। 
जब वो मनुस्य ईश्वर के बनाये गए धार्मिक कर्मकांड जो अमानवीय है, कुदरत के खिलाफ है इत्यादि का बहिस्कार कर लेता तब वह नास्तिकता की और अग्रसर हो जाता है। उदाहरण के तोर पर जैसे बकरीद जैसे एक अमानवीय कर्मकांड का विरोध करना आपको काफिर बना सकता है, दिवाली में जलने वाले पठाके पर्यायवरण हेतु हानिकारक हैं इनका विरोध करना आपको हिन्दू समाज से अलग बना देगा। 
जब आप किसी दूसरे धर्म के बजाये अपने धर्म में कमिया खोजते हैं तब आप नास्तिकता की तीसरी सीडी पार कर चुके हो। उदहारण एक मुस्लमान, कभी न कभी हिन्दू या किसी अन्य गैर मुसलमान के धर्म की अवहेलना तथा बेइज्जती अवश्य करता है मगर नास्तिक केवल दुश्मनी के चलते किसी धर्म में कमिया नहीं ढूंढ़ते उनका मक़सद ईश्वर को गलत ठहरना होता है। 
नास्तिक हमेशा धर्म ग्रन्थ को झूठा ठहराते हैं हालाँकि वह झूठे हैं। 
नास्तिक दर्शन में पुनर्जन्म और जन्नत के भोग विलास की कोई जगह नहीं है 
नास्तिक कभी भगवन को न मानने को अभिमान नहीं समझते। 
नास्तिक लोग हमेशा तर्क के आधार पर किसी धर्म से लोहा लेते हैं। 
यदि आप इन सब बातो का उपयोग अपने जीवन में करते हैं तो आप भी नास्तिक हो।  नास्तिक होने यह परिभाषा चार्वाक दर्शन अथवा भारतीय संस्कृति  पर आधारित है। इस परिभाषा का यूरोपीय नास्तिको से मिलना जुलना हो सकता है मगर यह अलग दर्शन हैं। 

मेरे ब्लॉग यदि आपको कोई गलती का सामना करना पड़ा तो मैं क्षमा चाहता हूँ और मुझे कमेंट करके सहयोग दे और और अपने दोस्तों में अवश्य बांटे। 

जय हिन्द जय भारत 
मेरा परिचय 
अमन 


21 Sept 2019

Maurya Period - Megasthenes Indica

Castes and Classes at the time of Maurya Era.

Megasthenes
India is known for their big and comical history. But not every time all claims by Indians are truth. Largest religion in India is Hinduism there myths and Religious Scriptures are to much comical. They claims that Hinduism is existed from 1.96 Billion years ago. Arya Samaj is newly branch of Hinduism like Budhism and Jainism. Arya Samaji believed Vedas are self write scriptures of God from beginning of Life on Earth. Vedas are religious scriptures for Hindus and Arya Samajis. Arya Samaji believing that God is One. But Hinduism is to much hard into that.
But we are here to talk about Era of Mauryas in India. So, Hindus (Arya Samaji also) believed that Vedas were written before 1.96 Billion years ago. They have a Little scripture like a constitution which is called Manusmriti. Manusmriti claimed Hindus are divided into four classes, Brahmins, Kshatrya, Vaishya and Shudras as you know. Also Hinduism claimed that Manusmriti is to much Ancient Scripture like Vedas etc. When we talk about Maurya Era we found there wasn't any type castes like Manusmriti which was Described to the world.
Actually many Dalits (Shudras) are punishing by Swarns (Brahmin and Kshtryas) because of Manusmriti scripture. At the time of Mauryas, there was an European Philosopher. His name was Magathanese. He wrote a Indica named book.
He describes Indian classes Like
1. Philosophers - The Intelligent guys which was well educated and smart in the state.
2. Farmers - As you know about farmers, they are the important part of the state. Everyone respects        them.
3. Animal Farming - Animal farming was most important job on that time. They were providing milk      & meat to the state.
4. Carpenters/Engineers - They makes weapons for Army, farming tools for farmers, civil                        engineering etc.
5. Army - As you know army is for security of peoples.
6. Businessmen/Shopkeepers - Who provides all needs to the peoples. eg. food & services.
7. Poor Class - they are the consumers.

One thing is that there wasn't any type of pressure on anyone that Son of Farmers will be Farmer. this is liquid anyone can do any job as his qualities.

Thanks For Reading
My Self Aman

20 Sept 2019

Why Wudu(Wazu) isn't Islamic Tradition/Practice?

Islamic Wudu isn't an Islamic Practice.

Approx 1400 years ago,
                                       Mohammad from Mecca was started a practice for Muslims to do Wujuh before Namaj or any religious practice. Actually, Wudu isn't earlier, It is more older then Islam. Saudi Arab or Arab has not any type of source for Water they are based on Wells and Rivers which are many miles far away from Arabs. But According to all religious myths you need to be cleaning for any type of Religious Practice and also in Islam.
You know there isn't any source of Water. So, Mohammad says Wudu is very best way to Save Water in Desert and Clean yourself. Actually this is Idea is too much suitable for that type of Countries. Where is no source of Water and lack of water.
But Ancient Arabs were saving water like that before thousands years of Mohammed. But Fabulous Idea was Adopted by Muslims.
Wudu is a perfect way to save water actually. Wudu is not Islamic it is just used by Muslims.
I'm not Muslim and I'm not Promoting any religion. I'm Just exposing myths.

My Self Aman

Surah 9 Aayat 5 - सुराः 9 आयत 5 का सक्षिप्त विश्लेषण

सुराः 9 आयत 5 And when the sacred months have passed, then kill the polytheists wherever you find them and capture them and besiege th...