पृथ्वी के समझदार प्राणी -
पृथ्वी की उम्र अगर देखे तो 4 अरब साल लगभग है हम केवल कुछ 40 से 80 करोड़ पुराणी पृथ्वी का ही अनुमान लगा पाए हैं और हम इंतसान कुछ लाख सालो में ही इतने एडवांस हो गए हैं हो सकता है पहले भी कोई महान सभ्यता ने पृथ्वी पर राज किया हो और आज उसका अस्तित्व ख़त्म हो गया हो या यह भी हो सकता है की उन्होंने उस समय किसी कारण से पृथ्वी का विनाश कर दिया हो और फिर वो ग्रह छोड़ कर किसी अन्य ग्रह पर चले गए होंगे और फिर धीरे-धीरे पृथ्वी की तरह उस ग्रह को भी बर्बाद करके पृथ्वी पर पुनः आगये हों और आज हम उन्ही के वंसज हैं खैर हम भी पृथ्वी का नाश करते जा रहे हैं। वैसे ये कहानी काल्पनिक है और थोड़ी सी फ़िल्मी लगी होगी।
आपने अक्शर देखा होगा की एक मनुष्य गुस्से में कह देता है की तुम मुझसे कम समझदार हो तो ऐसा लगता है जैसे उसके पास कुछ खास शक्तिया हैं मगर ऐसा नहीं है। एक इन्शान दूसरे को कम दिमाग या कम अकल तभी कहता है जब वह उसकी तरह नहीं सोच सकता या उसकी भांति कार्य नहीं कर सकता खैर इसका कारण रूचि भी हो सकती है। उदहारण के तौर पर मुझे राजनीती समझ नहीं आती लेकिन मेरा मित्र राजनीती में एक खिलाडी है अतः वह मुझे बेवकूफ कह देता है। आश्चर्य तब होता है जब मुझे इतिहास का पूरा ज्ञान है मगर उसको नहीं तब मैं उसको बेवकूफ बोल देता हूँ। अतः हम तभी किसी को दिमागी तौर पर कमजोर मानते हैं जब वह हमारे सोच के दायरे की रूचि से अलग हो।
पृथ्वी पर अनगिनत जिव रहते हैं हम मनुष्य ये वहम पाले बैठे हैं की हम पृथ्वी के हम सबसे अव्वल दर्जे के प्राणी है मगर ऐसा नहीं है। सभी प्राणी ही अव्वल दर्जे के होते हैं उनकी खूबियां अविश्वसनीय होती हाँ यह कहा जा है दिमागी रूप से मानव अत्यंत ताक़तवर है। लेकिन सभी जिव अपनी शारीरिक सरंचना के आधार पर दिमागी ताक़तवर हैं मनुष्य के पास वो सभी चीजे हैं जिससे वह अपनी सोच पूरी कर सकता है। अब जरा बताओ यदि हम हाथी को स्वर्ण माला बनाने को कहे तो वह नहीं बना पायेगा उसके पास हाथ नहीं होते हैं वह हमारी भाषा नहीं समझता न हम उनकी समझते लेकिन जब उसको उकसा देते हैं तो वह विनाश कर सकता है।
क्या आप जानते हैं घोडा कभी किसी की सकल नहीं भूलता मगर उसका दायरा अलग है।
सारांश यह निकलता है की कोई भी समझदार नहीं है। सब अपने अंदर खूबी लिए बैठे है।
मैं अमन चौहान हूँ मेरे ब्लॉग को फॉलो करें।
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