नमस्कार दोस्तों मैं तार्किक अमन आपका अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको ऐसी घटिया मानसिकता की एक झलक दिखाऊंगा जिसने भारत का इतिहास और वर्तमान तक कालिक छाप रखी है।
तुलसीदास एक महान रचयता माने जाते हैं भारत में उसने रामचरितमानस का निर्माण किया मैं उसकी जीवनी पर बहस नहीं करूँगा बल्कि उनकी लिखी पुस्तिका तुलसीदास दोहावली की एक चोपाई की बात करूँगा जोकि इस प्रकार है "ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना अधिकारी।।" इस चोपाई का अर्थ आपको शायद न पता लगे लेकिन मैं आपको बताऊंगा जिससे तुलसीदास की सोच का आपको भली भाती अंदाजा हो जायेगा।
ढोल का अर्थ तो आपको पता है ग्वार जो पागल होते हैं शूद्र हिन्दुओ के चार वर्णो में सबसे निचला वर्ग जिसको अछूत श्रेणी में गिना जाता है पशु जानवर को कहते हैं और नारी का आपको पता है। सकल का अर्थ है सभी, ताड़ना का अर्थ है पीटना और अधिकारी मतलब वह उसका अधिकार। अतः यह हुआ पशु, पागल , शूद्र, महिला सभी ही ढोल की पिटाई के हक़दार हैं।
अब बताओ कौन महिला या बहुजन समाज से तुलसीदास का दीवाना है। जो इन्शान ऐसी घटिया सोच रखता है उससे क्या उम्मीद लगते हो मित्र।
उम्मीद है आपको मेरा यह ब्लॉग अच्छा लगा
तुलसीदास एक महान रचयता माने जाते हैं भारत में उसने रामचरितमानस का निर्माण किया मैं उसकी जीवनी पर बहस नहीं करूँगा बल्कि उनकी लिखी पुस्तिका तुलसीदास दोहावली की एक चोपाई की बात करूँगा जोकि इस प्रकार है "ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना अधिकारी।।" इस चोपाई का अर्थ आपको शायद न पता लगे लेकिन मैं आपको बताऊंगा जिससे तुलसीदास की सोच का आपको भली भाती अंदाजा हो जायेगा।
ढोल का अर्थ तो आपको पता है ग्वार जो पागल होते हैं शूद्र हिन्दुओ के चार वर्णो में सबसे निचला वर्ग जिसको अछूत श्रेणी में गिना जाता है पशु जानवर को कहते हैं और नारी का आपको पता है। सकल का अर्थ है सभी, ताड़ना का अर्थ है पीटना और अधिकारी मतलब वह उसका अधिकार। अतः यह हुआ पशु, पागल , शूद्र, महिला सभी ही ढोल की पिटाई के हक़दार हैं।
अब बताओ कौन महिला या बहुजन समाज से तुलसीदास का दीवाना है। जो इन्शान ऐसी घटिया सोच रखता है उससे क्या उम्मीद लगते हो मित्र।
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