4 Nov 2019

Galileo Galilei vs Church

विज्ञान तथा चर्च -


नमस्कार दोस्तों मैं एक तार्किक मनुष्य हूँ आज आपसे ऐसी घटना बताने वाला हूँ जो चर्च और विज्ञान की एक लड़ाई थी। जिसमे लोगो की गलत मानसिकता से एक महान वैज्ञानिक को मरणोपरांत भी गलत ठहराया गया। 

बात दरअसल बात 14 फरवरी 1564 को सर गैलिलिओ गलीली के जन्म से सुरु होती है। गैलिलिओ का जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रान्त के पिसा में हुवा। हम उनकी जीवनी के बारे में बात नहीं करेंगे। उन्होंने पृथ्वी के सौरमंडल के केंद्र न होने की बात को जोर दिया था हालाँकि  यह उनकी खोज नहीं थी उन्होंने बृहस्पति ग्रह चार चन्द्रमा खोज निकले थे। उन्होंने जोर दिया की सौरमंडल का केंद्र सूर्य है और सभी ग्रह  सहित सूर्य के चारो और चक्क्र काटते हैं कोपरनिकस ने भी यह दवा किया था। यह बात चर्च को कभी पसंद नहीं आयी. सन 1609 चर्च ने बैठक बुलाई और बताया की गैलिलिओ ने धर्म के खिलाफ बात की है बाइबिल की बातो का खंडन है इसलिए चर्च ने गैलिलिओ को सजा सुनाई की उसको सबके सामने कहना होगा " की मैं गलत हूँ सूर्य पृथ्वी के इर्द गिर्द घूमता है '' गैलीलियो ने यही किया और गर्दन झुककर दबी आवाज में यह कहा ऐसा लगा जैसे उनको बड़ा दुःख है। 
परेशानियों से भरी गलील्यो की जिंदगी 8 जनवरी 1642 में उनकी जिंदगी का अंत होगया। उनकी बहोत सी खोजे जो और कर सकते थे चर्च की सजा से सब ख़तम होगया उनको अपनी जिंदगी के आखिरी कुछ साल नजरबंदी में गुज़ारे।
अब बात करते उनकी मृत्यु के 350 साल बाद चर्च के पादरी ने यह गलती मानी की उन्होंने गैलीलियो के साथ गलत किया गैलीलियो एक महान व्यक्तित्व वाले आदमी थे। आखिरकार गैलीलियो को न्याय मिला। 

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