सुराः 9 आयत 5
And when the sacred months have passed, then kill the polytheists wherever you find them and capture them and besiege them and sit in wait for them at every place of ambush. But if they should repent, establish prayer, and give zakah, let them [go] on their way. Indeed, Allah is Forgiving and Merciful.
जिसका मतलब है -
कि जब पवित्र महीने बीत चुके हों तब तुम जहाँ भी उन बहुदेवादियो (अधिक भगवान को मानने वाले आस्तिक) को पाओगे उन्हें जान से मार देना, उनको पकड़ लेना उनका घात लगाकर बैठ जाना मगर जब वे पश्चाताप करें और नमाज के लिए मान जाएँ और जकाह के लिए मान जाएँ तो उन्हें जाने दें। क्यूंकि अल्लाह माफ़ करने वाला और दया करने वाला है।
देखा आपने ये ईश्वरीय किताब बताकर इसमें कैसा पाखंड लिखा गया है। बताया जाता है इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं फैला लेकिन ये आयत तो कुछ और ही दर्शा रही है। जो पूरी तरह मानवता विरोधी है। सच तो यह है की न इनका अल्लाह सत्य है न इनकी कुरान। कुरान आतंकवाद की किताब है अल्लाह आतंकवाद निर्माता।
मुसलमान यह कहते नहीं थकते की इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है। लेकिन यह आयत सब कुछ साफ़ कर देती है। इस्लाम पूरी तरह मानवता विरोधी रहा है इनके द्वारा अरब के कुफ्र समाज का नाश किया गया और अफ़ग़ान तथा ईरान में बोद्धो और पारसियों को जबरन मुस्लमान बना कर बौद्ध तथा पारसियों को खदेड़ा गया।
Written by Aman Nastik
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What absolute rubbish lol. Disgusting hate spreading that's àll
ReplyDeleteHe is about to be banned
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