19 Nov 2019

ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना अधिकारी।।

नमस्कार दोस्तों मैं तार्किक अमन आपका अपने ब्लॉग में स्वागत करता हूँ। आज मैं आपको ऐसी घटिया मानसिकता की एक झलक दिखाऊंगा जिसने भारत का इतिहास और वर्तमान तक कालिक छाप रखी है।
तुलसीदास एक महान रचयता माने जाते हैं भारत में उसने रामचरितमानस का निर्माण किया मैं उसकी जीवनी पर बहस नहीं करूँगा बल्कि उनकी लिखी पुस्तिका तुलसीदास दोहावली की एक चोपाई की बात करूँगा जोकि इस प्रकार है "ढोल ग्वार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना  अधिकारी।।" इस चोपाई का अर्थ आपको शायद न पता लगे लेकिन मैं आपको बताऊंगा जिससे तुलसीदास की सोच का आपको भली भाती अंदाजा हो जायेगा।
ढोल का अर्थ तो आपको पता है ग्वार जो पागल होते हैं शूद्र हिन्दुओ के चार वर्णो में सबसे निचला वर्ग जिसको अछूत  श्रेणी में गिना जाता है पशु जानवर को कहते हैं और नारी का आपको पता है। सकल का अर्थ है सभी, ताड़ना का अर्थ है पीटना और अधिकारी मतलब वह उसका अधिकार। अतः यह हुआ पशु, पागल , शूद्र, महिला सभी ही ढोल की पिटाई के हक़दार हैं।
अब बताओ कौन महिला या बहुजन समाज से तुलसीदास का दीवाना है। जो इन्शान ऐसी घटिया सोच रखता है उससे क्या उम्मीद लगते हो मित्र।
उम्मीद है आपको मेरा यह ब्लॉग अच्छा लगा 

4 Nov 2019

Galileo Galilei vs Church

विज्ञान तथा चर्च -


नमस्कार दोस्तों मैं एक तार्किक मनुष्य हूँ आज आपसे ऐसी घटना बताने वाला हूँ जो चर्च और विज्ञान की एक लड़ाई थी। जिसमे लोगो की गलत मानसिकता से एक महान वैज्ञानिक को मरणोपरांत भी गलत ठहराया गया। 

बात दरअसल बात 14 फरवरी 1564 को सर गैलिलिओ गलीली के जन्म से सुरु होती है। गैलिलिओ का जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रान्त के पिसा में हुवा। हम उनकी जीवनी के बारे में बात नहीं करेंगे। उन्होंने पृथ्वी के सौरमंडल के केंद्र न होने की बात को जोर दिया था हालाँकि  यह उनकी खोज नहीं थी उन्होंने बृहस्पति ग्रह चार चन्द्रमा खोज निकले थे। उन्होंने जोर दिया की सौरमंडल का केंद्र सूर्य है और सभी ग्रह  सहित सूर्य के चारो और चक्क्र काटते हैं कोपरनिकस ने भी यह दवा किया था। यह बात चर्च को कभी पसंद नहीं आयी. सन 1609 चर्च ने बैठक बुलाई और बताया की गैलिलिओ ने धर्म के खिलाफ बात की है बाइबिल की बातो का खंडन है इसलिए चर्च ने गैलिलिओ को सजा सुनाई की उसको सबके सामने कहना होगा " की मैं गलत हूँ सूर्य पृथ्वी के इर्द गिर्द घूमता है '' गैलीलियो ने यही किया और गर्दन झुककर दबी आवाज में यह कहा ऐसा लगा जैसे उनको बड़ा दुःख है। 
परेशानियों से भरी गलील्यो की जिंदगी 8 जनवरी 1642 में उनकी जिंदगी का अंत होगया। उनकी बहोत सी खोजे जो और कर सकते थे चर्च की सजा से सब ख़तम होगया उनको अपनी जिंदगी के आखिरी कुछ साल नजरबंदी में गुज़ारे।
अब बात करते उनकी मृत्यु के 350 साल बाद चर्च के पादरी ने यह गलती मानी की उन्होंने गैलीलियो के साथ गलत किया गैलीलियो एक महान व्यक्तित्व वाले आदमी थे। आखिरकार गैलीलियो को न्याय मिला। 

कैसी लगी हमारी पेशकश 
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धन्यवाद 

1 Nov 2019

Intelligent Species of Earth - HINDI

पृथ्वी के समझदार प्राणी -

पृथ्वी की उम्र अगर देखे तो 4 अरब साल लगभग है हम केवल कुछ 40 से 80 करोड़ पुराणी पृथ्वी का ही अनुमान लगा पाए हैं और हम इंतसान कुछ लाख सालो में ही इतने एडवांस हो गए हैं हो सकता है पहले भी कोई महान सभ्यता ने पृथ्वी पर राज किया हो और आज उसका अस्तित्व ख़त्म हो गया हो या यह भी हो सकता है की उन्होंने उस समय किसी कारण से पृथ्वी का विनाश कर दिया हो और फिर वो ग्रह छोड़ कर किसी अन्य ग्रह पर चले गए होंगे और फिर धीरे-धीरे पृथ्वी की तरह उस ग्रह को भी बर्बाद करके पृथ्वी पर पुनः आगये हों और आज हम उन्ही के वंसज हैं खैर हम भी पृथ्वी का नाश करते जा रहे हैं। वैसे ये कहानी काल्पनिक है और थोड़ी सी फ़िल्मी लगी होगी। 
आपने अक्शर देखा होगा की एक मनुष्य गुस्से में कह देता है की तुम मुझसे कम समझदार हो तो ऐसा लगता है जैसे उसके पास कुछ खास शक्तिया हैं मगर ऐसा नहीं है। एक इन्शान दूसरे को कम दिमाग या कम अकल तभी कहता है जब वह उसकी तरह नहीं सोच सकता या उसकी भांति कार्य नहीं कर सकता खैर इसका कारण रूचि भी हो सकती है। उदहारण के तौर पर मुझे राजनीती समझ नहीं आती लेकिन मेरा मित्र राजनीती में एक खिलाडी है अतः  वह मुझे बेवकूफ कह देता है। आश्चर्य तब होता है जब मुझे इतिहास का पूरा ज्ञान है मगर उसको नहीं तब मैं उसको बेवकूफ बोल देता हूँ। अतः हम तभी किसी को दिमागी तौर पर कमजोर मानते हैं जब वह हमारे सोच के दायरे की रूचि से अलग हो। 
पृथ्वी पर अनगिनत जिव रहते हैं हम मनुष्य ये वहम पाले बैठे हैं की हम पृथ्वी के हम सबसे अव्वल दर्जे के प्राणी है मगर ऐसा नहीं है। सभी प्राणी ही अव्वल दर्जे के होते हैं उनकी खूबियां अविश्वसनीय होती हाँ यह कहा जा  है दिमागी रूप से मानव अत्यंत ताक़तवर है। लेकिन सभी जिव अपनी शारीरिक सरंचना के आधार पर दिमागी ताक़तवर हैं मनुष्य के पास वो सभी चीजे हैं जिससे वह अपनी सोच पूरी कर सकता है। अब जरा बताओ यदि हम हाथी को स्वर्ण माला बनाने को कहे तो वह नहीं बना पायेगा उसके पास हाथ नहीं होते हैं वह हमारी भाषा नहीं समझता न हम उनकी समझते लेकिन जब उसको उकसा देते हैं तो वह विनाश कर सकता है। 
क्या आप जानते हैं घोडा कभी किसी की सकल नहीं भूलता मगर उसका दायरा अलग है। 
सारांश यह निकलता है की कोई भी समझदार नहीं है। सब अपने अंदर खूबी लिए बैठे है। 

मैं अमन चौहान हूँ मेरे ब्लॉग को फॉलो करें। 

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