महाभारतकाल एक महान झूठ :-
नमस्कार दोस्तों अमन ब्लॉग में आपका स्वागत है। हम आज बात कर रहे हैं क्या महाभारतकाल की जिसका उपयोग आधुनिक हिन्दू तथा आर्य समाजियो द्वारा किया जाता है। अगर भारतीय पुरारतात्विक विभाग की माने
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कृष्ण तथा अर्जुन |
तो भारत में सिंधु घाटी सभ्यता से पुराने सुबूत बहोत कम ही मिलते हैं। महाभारत हिन्दू या सनातन धर्म का एक महाकाव्य है। यदि बात की जाये सिंधु घाटी सभ्यता की तो यह 1300 ईसा पूर्व से पुराणी है, सिंधु घाटी सभ्यता पाषाण युग, लोह युग और हड़प्पा तथा मोहेंजो दाड़ो जैसी सभ्यताओं के मिश्रण से बना है। सिन्दु घाटी सभ्यता के पुराने प्रमाण 8000 ईसा पूर्व पुराने हैं। लेकिन हिन्दू विश्वसानुसार महाभारत तृतयुग के अंतिम शतकों में हुवा जिनकी माने तो वो समय 5000 वर्ष पुराना हैं यानि तक़रीबन 2000 ईशा पूर्व के समय में लेकिन एक तर्क जो पुरातात्विक विभाग कहता है की सिंधु घाटी सभ्यता उस समय पाषाण युग में था वो धातु युग नहीं था सिंधु घाटी के अंतिम समय में धातुओं का इस्तेमाल सुरु हुवा था। इतिहासकारो के पास 1300 से 700 ईशा पूर्व के मध्य के कोई सुबूत नहीं है हो सकता है महाभारतकाल उसी 600 वर्ष के अंतराल में हुवा हो। लेकिन यह थोड़ा असंभव लगता है क्यूंकि उस समय मानव विकास की चरम सीमा की अग्रसर था लेकिन महाभारत महाकाव्य में जिस प्रकार की कहानी व्यक्तित्व और राजशाही की बात नजर आती है वह काफी आधुनिक लगती है। महाभारत में सोना और लोहे से बने हथियार तथा अनेक प्रकार के वस्त्रो का इश्तेमाल किया गया है जोकि सिंधु घाटी से पहले सूक्ष्म रूप से इस्तेमाल में थी। महाकाव्य में संस्कृत भाषा का उपयोग है तथा संस्कृत को प्रचित भाषा बताया गया है किन्तु सिंधु घाटी में संस्कृत नहीं थी और बोध काल के दौरान पाली भाषा उपयोग में थी। अनुमान लगाया जा सकता है की महाभारत काव्यांश एक काल्पनिक कहानी है जिसको प्राचीन इतिहास का रूप देने की कोशिश की गयी है। काव्यांश में अनेक बार जादू और गैर-वैज्ञानिक बाते इस्तेमाल की गयी है जैसे संजय द्वारा हजारो कोष दूर चल रहे युद्ध की जानकारी बिना किसी उपकरण धृतराष्ट्र को देना, शांतनु द्वारा गंगा जोकि नदी है उससे विवाह करना, गंगा जब स्त्री बन कर टहल रही थी तब शांतनु उसकी शारीरिक सरंचना पर मोहित हो गया और विवाह का प्रस्ताव देदिया, मंत्रो से तलवार तथा तीर भालो से लड़ा जाने वाला युद्ध भी एक आधुनिक युद्ध लगता विस्फोटक तीर इत्यादि, कुंती के 3 बेटे बिना प्रजनन के होना केवल ध्यान लगाया और बच्चे होगये, गांधारी के भ्रूण हत्या होने पर उसने भ्रूण को मिटटी के बर्तन में घी के साथ रख दिया और फिर सौ पुत्र तथा एक पुत्री का जन्म हुवा ऐसी दकियानूसी बात ज्ञात इतिहास में तो नहीं अतः यह एक मानसिक इतिहास है।
कृपया हमारे इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाने का प्रयास करें ताकि लोग इस झूठ और अन्धविश्वास से खुद को बचा सके।
जय हिन्द